Insulin plant For Diabetes patient: अस्वस्थ जीवनशैली कई बीमारियों को न्यौता देती है। खासकर आजकल डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी एक आम बीमारी है और डायबिटीज के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में डॉक्टर मधुमेह के रोगियों को आवश्यक दवाएं लेने और शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए उचित भोजन करने की सलाह देते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक पौधा ऐसा भी है जो हमें इन नशीले पदार्थों से बचा सकता है। जी हां, डायबिटीज के मरीजों के लिए यह पौधा काफी कारगर माना जाता है। अगर आप भी डायबिटीज के मरीज हैं या आपके घर में कोई डायबिटीज का मरीज है तो आप इंसुलिन की जरूरत जानते हैं। आइए जानें कि इस पौधे के इस्तेमाल से आप अपनी इंसुलिन की कमी को कैसे दूर कर सकते हैं।
दरअसल जब हमारा शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है तो हमें बाहर से इंसुलिन डॉट लेने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में यह इंसुलिन प्लांट आपको बहुत फायदा पहुंचाएगा। इस पौधे को आप अपने घर के आंगन में भी लगा सकते हैं। इन्सुलिन का पौधा एक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग कई वर्षों से चिकित्सा में किया जाता रहा है। इससे आपको सीधे इंसुलिन भले ही न मिले, लेकिन यह इंसुलिन बनाने में मदद जरूर करता है। इस पौधे में ऐसे कई गुण होते हैं और यह मधुमेह जैसी कई गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में फायदेमंद होता है। इंसुलिन संयंत्र में प्राकृतिक रसायन होते हैं जो रक्त शर्करा को ग्लूकोज में परिवर्तित करते हैं। इसके साथ ही यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में काफी फायदेमंद होता है।
इंसुलिन लेने के क्या फायदे हैं?घर में अगर कोई मधुमेह रोगी है तो उसके लिए इंसुलिन के पौधे की पत्तियां किसी औषधि से कम नहीं होती हैं। पौधे में मौजूद इंसुलिन के गुण बीपी, दिल से जुड़ी समस्याओं, आंखों, आंतों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। इंसुलिन पौधे की पत्तियों में मौजूद प्रोटीन, फ्लेवोनोइड्स, एंटीऑक्सीडेंट एस्कॉर्बिक एसिड, बीटा-कैरोटीन, कॉर्सोलिक एसिड, टेरपेनोइड्स रक्त शर्करा को कम करने में प्रभावी होते हैं।
इंसुलिन की जरूरत किसे है?आपने पढ़ा होगा कि कभी-कभी जब रोगी के शरीर में शुगर की समस्या बढ़ जाती है तो उसे इंसुलिन की मदद लेनी पड़ती है। टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों में, अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इससे इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों के शरीर में इंसुलिन भले ही बनता है, लेकिन यह शरीर में ठीक से काम नहीं करता है।
